Classroom Learning चिरैया
By Gyan Prakash Shukla
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चिरैया धीरे धीरे बोल चिरैया धीरे धीरे बोल

सुबह की लाली फैली हुई है और बड़ी हरियाली

नदियों की कोख से निकले कल कल ध्वनि प्यारी

चिरैया धीरे धीरे बोल चिरैया मीठे मीठे बोल

चमके सूरज नील गगन पे हवा बसंती साथ

हवा की बंसी बाजे देखो आज तुम्हारे साथ

चिरैया धीरे धीरे बोल चिरैया मीठे मीठे बोल

सांझ को आना फिर से कल कल ध्वनि के साथ

सूरज भी डूबेगा पश्चिम गौ धूलि के साथ

चिरैया धीरे धीरे बोल चिरैया धीरे धीरे बोल

चिरैया मीठे मीठे बोल चिरैया मीठे मीठे बोल

 
 

About the author

Gyan Prakash Shukla is an educator in India. All views expressed are personal.