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देखा जाये तो स्कूल में कई विषय पढ़ाए जाते है, इन सबमें से एक हे चित्रकला, जिसको केवल सामान्य विषय के रूप में लिया जाता है| पर मेरा मानना है कि यह एक खास विषय है क्यों की इसकी हर एक विषय में कोई न कोई जरूरत रहती ही ह। जैसे कि विज्ञान या गणित कि बात करें तो इन दोनों खास विषय में भी हमें कुछ न कुछ चित्र बनाकर समझाना या समझना पड़ता है, तभी विषय का असली अर्थ या मतलब निकलता ह। इसी के साथ बात कि जाएँ तो प्रयोग कि रचना बनाना या भौतिक आकृतिया बानाना, साथ ही हम देखते ही है कि भूगोल में नकशा- मानचित्र बनाने में इतिहास में लेखाचित्र बनाने कि प्रक्रिया में और भाषा का विषय समझाते वक्त गघ- पघ रचना को समझने समझाने हेतु हम कहीं न कहीं चित्र का उपयोग करते ही ह। इस तरह देखा जाए तो कोई भी विषय को अच्छी तरह समझाने में चित्रकला सहयोगी बनी रहती ह। इसलिए चित्रकला का अभ्यास करना जरुरी है ये हमें समझना चाहिए।
अगर हम सोसिओ-इमोशनल स्किल्स की भी बात करें, चित्रकला को बहुत जरुरी रास्ता माना जाता हैं भाबनाओं को दर्शाने के लिए। आप सोशल मीडिया पे #arttherapy देखा होगा, चित्र को थेरेपी माना जाता हैं, यानी अपने भाबनाओं को जाताके उनको आयत करने का एक बहुत बढ़िया तरीका होता हैं चित्रकल। बड़े हो या बच्चे, सब यह थेरेपी अपना सकते हैं।
जब शिक्षा पद्धति का पहली बार आयोजन किया गया, तब शिक्षाविद मेकोलो ने समझदारी से चित्र कला विषय को शिक्षा सूचि में शामिल किया जो आज भी है लेकिन आज चित्रकला का महत्व कम आँका जाता ह। यह एक विचारणीय बाबत ह। आज कईं विद्यालयों में कला शिक्षक नही ह। चित्रकला जो जीवन स्वरूप जीने कि कला सिखाती है, जो प्रकृति कि सुन्दरता समझाती है, जो परिमाण का ज्ञान देती है, जो अद्भुत सृजन विकसती करती है, विविध रंगो का गहन तत्वज्ञान बिना कला कैसे जानेंगे?
कला कि जानकारी के बिना इंसान कि क्या किंमत? इसलिए कहा गया है कि " कला बिना नर पशु समान " कला ही सत्यम, शिवम, सुन्दरम है।
Priti Waghela is an educator in India. Any views expressed are personal.