आज कितनी उपयोगिता में है हिन्दी?
प्रायः हमारे जीवन में कभी-कभी ऐसे अनुभव मिलते हैं जिन्हें दूसरों से साझा करने में एक अलग आनंद की अनुभूति होती है । ऐसी ही अनुभूति आज मुझे हो रही है अपना अनुभव इस लेख के माध्यम से आप सभी के समक्ष रखने में । पिताजी को कहते सुना था पहले खुद करो फिर दूसरों को बताओ उसे करने को । और ये उनका कहना मेरे जीवन में सफल हुआ मेरे विद्यालय के बच्चों के साथ ।
एक दिन मैंने भोजन की घंटी जैसे ही बजी मैंने कुछ बच्चों को बुलाया और कहा कि आज हम भी आप लोगों के साथ भोजन बैठकर करेंगे । सभी बच्चों में खबर आग की तरह फैल गयी कि आज एस पी सर भी हम लोगों के साथ खाएंगे । मैंने भी रसोईया दीदी से बोला और मैं भी लाइन में लग गया ,खैर रसोईया दीदी नें मुझे भोजन नहीं दिया और बोलीं,"आप चलो , मैं आपका खाना लेकर आती हूँ ।"
मैंने बच्चों के साथ मिलकर चटाइयां बिछवा दी थीं । पहले दिन मैं एक कोने में बैठा । सब बच्चे बड़े अनुशासित होकर भोजन करके उठ गए । मैं भी भोजन कर के उठ गया । मैंने सोंचा मेरा काम हो गया अब तो रोज ऐसे ही खाना खाएंगे । आखिर मेरा कार्य अब हो चुका था । मैं अपने कार्य में सफल हो गया था ।
Satya Pal Singh is an Academic Resource Person or a teacher educator in India. Any views expressed are personal.
Superb sir ,it smells the feeling of humanity and the virtue within you which makes you sit and had lunch with such blessed children who only need our love .At our one call they rush and do what is being told to do .A huge applause of salute to you for your friendly and caring deed.Continue with your great work best wishes.
आप के द्वारा अनुशासन का पाठ हमे पूरी जिंदगी भर याद रहेगा ।आप का हर कार्य प्रेरणा दायीं होता है ।आप दुसरो के लिए भी प्रेरक है