Dear Diary मेरी सीख
By Anand Mishra
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डिअर डायरी

मै और मेरा अनुभव इस बात को साझा करने के लिए व्यग्र हो रहा है कि वर्ष २०१५ से वर्ष २०२० तक की  यात्रा जो कि  Learn out of The Box से शुरू हुई आज गुरुशाला तक पहुंची है इस दौरान हमारे कुछ ऐसे    पार्टनर रहे जिनका टेक्नोलोजी के साथ बहुत ज्यादा जुड़ाव नहीं था किन्तु धीरे-धीरे समय की मांग और आवश्यकता को समझते हुए उन्होंने इसे अंगीकार किया | ऐसा ही एक शैक्षणिक संस्थान है “विद्या भारती” जिनका लक्ष्य ऐसी शिक्षा देना जो पारम्परिक, राष्ट्रवादी , संस्कृतनिष्ठ, व्यक्तित्व एवं संस्कार निर्माण करने वाली हो | शिक्षा का लक्ष्य कुछ इस प्रकार  है .........

वह शिक्षा क्या स्वर साध सकेगी, जिसमें नैतिक आधार नहीं है |
सृजन हीन विज्ञान व्यर्थ है, यदि मानव का प्यार नहीं है ||
 भौतिकता के उत्थानों में, मानव का उत्थान न भूले |
   स्वार्थ्य साधना की आँधी में वसुधा का कल्याण न भूलें ||

कुछ इसी तरह के विचार आत्मसात किये विद्या भारती ने वर्ष १९७७ से यह शैक्षणिक यात्रा शुरू की और आज इसके हजारों से ज्यादा शिक्षण  संस्थान कार्य कर रहे है। इनके द्वारा  शिक्षा के सभी स्तरों - प्राथमिक, माध्यमिक एवं उच्च पर कार्य किया जा रहा है। इसके अलावा यह शिक्षा के क्षेत्र में अनुसंधान भी करती है। आज नगरों और ग्रामों में, वनवासी और पर्वतीय क्षेत्रों में झुग्गी-झोंपड़ियों में, शिशु वाटिकाएं, शिशु मंदिर, विद्या मंदिर, सरस्वती विद्यालय, उच्चतर शिक्षा संस्थान, शिक्षक प्रशिक्षण केंद्र और शोध संस्थान हैं। 

साझेदारी का फैलाव :
गुरुशाला, विद्या भारती उत्तर प्रदेश (अवध , गोरखपुर , काशी , कानपुर  ), राजस्थान (जयपुर, जोधपुर, चित्तौड़), नार्थ ईस्ट (असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, त्रिपुरा ) के साथ एक पार्टनर के रूप में जुड़कर ऑनलाइन प्रशिक्षण, डिजिटल कॉन्टेंट इत्यादि के द्वारा शिक्षकों व छात्रों के शैक्षणिक उन्नयन में अनवरत लगी हुई है | 

पहला अनुभव (कुछ खट्टा कुछ मीठा ) :
वर्ष २०१८ में विद्या भारती उत्तर प्रदेश के चार प्रान्त (अवध, गोरखपुर, कानपुर, काशी) के साथ कार्यक्रम की शुरुवात हुई | जैसा कि मैंने पहले ही यह जिक्र किया है कि इस संस्था के लक्ष्य बहुत स्पष्ट है अतः जब हमने अपने कार्यक्रम के माध्यम से शिक्षकों के प्रशिक्षण कार्यशालाओं का आयोजन किया तो उसमें प्रबंधन स्तर पर तो हमें भरपूर सहायता मिली किन्तु शिक्षकों की तरफ से अपेक्षित उत्साह नहीं दिखा | उसके भी अपने अलग-अलग कारण थे, पहला कारण यह कि अधिकांश शिक्षक सीनियर थे जिन्होंने कभी भी कोई डिवाइस (कंप्यूटर, लैपटॉप, स्मार्ट फ़ोन) का ऊपयोग न तो निजी जीवन में और न ही अध्यापन के लिए किया था | इसलिए टेक्नोलॉजी का उपयोग करना इनके लिए एक बड़ी चुनौती था | इसी कारण बहुत प्रयास करने के बावजूद वह परिणाम नहीं निकल पा रहा था जो की मिलना चाहिए किन्तु इन सब के साथ गुरुशाला द्वारा कई गतिविधियों व प्रतिस्पर्धाओं का आयोजन किया गया जिसमें शिक्षकों ने अपनी प्रतिभागिता की और उन्हें राष्टीय स्तर पर सम्मानित भी किया गया | इसके बाद यह चारो प्रान्त निरंतर जुड़कर कार्यक्रम से जुड़कर नवीन पद्धति से अध्यापन में जुड़े हुए हैं | पिछले छ: महीने में टेक्नोलॉजी की महत्ता का एहसास और भी अधिक हुआ जिससे इस कार्यक्रम की उपयोगिता और लाभ दोनों प्रत्यक्ष रूप से दिखाई पड़ने लगा |

सफल एवं परिणामदायी क्षण :  
दुसरे चरण में जब विद्या भारती राजस्थान के साथ पार्टनरशिप हुई तो शुरुवात से ही जोधपुर प्रान्त से अनवरत सकारात्मक प्रतिक्रिया प्राप्त होती रही और इस प्रान्त के शिक्षकों द्वारा कार्यशाला या अन्य गतिविधियों में लगातार भाग लिया जाता रहा | प्रान्त की भी तरफ से कुछ सुझाव और विषय हमें दिए जाने लगे की इन विषयों पर भी कोई ऑनलाइन गतिविधि कराई जाये और यह सब संभव हो सका वहां के माननीय प्रान्त निरीक्षक श्री गंगा विष्णु जी के प्रयास से वह स्वयं भी हर समय सचेत रहते और कुछ नया होता रहे इसमें प्रयासरत रहते थे | 

पिछले छः महीनों में विद्या भारती के लगभग ३५०० से अधिक शिक्षकों ने ऑनलाइन प्रशिक्षण में भाग लेकर हमारे कार्यक्रम और प्रयास को गति देने और घर बैठे बच्चों को पढ़ाने के उपक्रम को और बल प्रदान किया है | हम विद्या भारती जैसे संगठनों के साथ जुड़कर अपने अनुभव और कार्य को निरंतर समाज के अंतिम तबके तक पहुँचाने में अनवरत लगे रहे ऐसा प्रयास होगा |

 

About the author

Anand Mishra is working in Pratham Education Foundation and works on aspects of Partnerships & Communication for the teacher capacity development portal: Gurushala. Any views expressed are personal.