Technology & Innovation आज के युग में इंटरनेट का महत्व
By pradeep negi
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आज का युग विज्ञान का युग है । वैज्ञानिक उपलब्धियों ने मनुष्य के जीवन को एक नई दिशा प्रदान की है । विज्ञान के प्रयोग से अनेक असंभव लगने वाली बातों को उसने संभव कर दिखाया है । जिस चंद्रमा को हम देवता का स्वरूप मानते थे उसी चंद्रमा पर अपनी विजय पताका फहराकर उसने अनेक भ्रांतियों को समाप्त कर दिखाया है । विज्ञान की खोजों ने मनुष्य को अनेक अद्‌भुत उपकरण प्रदान किए हैं । प्रतिपल नई खोज व अनुसंधान जारी हैं । इंटरनेट की खोज भी मनुष्य की एक ऐसी असाधारण सफलता है जिसने उसकी कल्पनाओं की उड़ान को मानो पंख प्रदान कर दिए हैं ।

इंटरनेट एक वैश्विक नेटवर्क है जो पूरी दुनिया के कम्प्यूटरों को एक साथ जोड़ता है। इसने रोज के कार्यों की प्राप्ति को बेहद आसान बनाया है जो कि एक समय कठिन लंबा और समय लेने वाला था । हमलोग बिना इसके अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते जिसको इंटरनेट कहा जाता है। जैसाकि इस धरती पर हर चीज का एक फायदा-नुकसान होता है उसी तरह इंटरनेट का भी हमारे जीवन का अच्छा और बुरा प्रभाव है। इंटरनेट की वजह से ही ऑनलाइन संचार बहुत ही सरल और आसान हो गया है। पुराने समय में संचार का माध्यम पत्र होता था जोकि लंबा समय लेने वाला और कठिन होता था क्योंकि इसके लिये किसी एक को लंबी दूरी तय कर संदेश पहुँचाना पड़ता था। लेकिन अब, कुछ सोशल नेटवर्किग साइट को खोलने के लिये हमें सिर्फ इंटरनेट से जुड़ने की जरुरत है साथ ही जी-मेल, याहू आदि अकांउट के द्वारा सेकेंडो में ही संदेश को भेजा जा सकता है। मेट्रों, रेलवे, व्यापारिक उद्योग, दुकान, स्कूल, कॉलेज, शिक्षण संस्थान, एनजीओ, विश्वविद्यालय, कार्यालय में हर डाटा को कंप्यूरीकृत करके बड़े स्तर पर कागज और कागजी कार्यों से बचा जा सकता है। इसके माध्यम से एक जगह से पूरे विश्व के बारे में समय-समय पर खबर जाना जा सकता है। ढ़ेर सारी जानकारीयों को जमा करने में ये बहुत दक्ष और प्रभावकारी है चाहे वो किसी भी विषय से संदर्भित हो चंद सेकेंड में ही उपलब्ध हो जाएगा। ये शिक्षा, यात्रा, और व्यापार में बहुत उपयोगी है। इसके द्वारा ऑनलाइन पब्लिक लाइब्रेरी, टेक्स्टबुक, तथा संबंद्ध विषयों तक पहुँच आसान हुई है।

पहले के समय में जब लोग बिना इंटरनेट के थे, उन्हे कई प्रकार के कार्यों के लिये लंबे समय तक लाइन में लगना पड़ता था जैसे रेलवे का टिकट लेने के लिये। लेकिन आधुनिक समय में लोग बस एक क्लिक से टिकट की बुकिंग कर सकते है साथ ही एक सॉफ्ट कॉपी अपने मोबाईल फोन में भी रख सकते है। इंटरनेट की दुनिया में, किसी एक को ये जरुरी नहीं कि लंबी दूरी तय करके वो अपने किसी व्यापारिक मुलाकात या किसी और काम के लिये यात्रा करे। कोई भी विडियों कॉनप्रेंसिंग, कॉलिंग, स्काईप या दूसरे तरीकों से अपनी जगह पर रह कर ही बैठक का हिस्सा बन सकता है। इंटरनेट हमें कई तरीकों से फायदा पहुँचाता है जैसे ऑनलाइन स्कूल, कॉलेज, या विश्वविद्यालयों में दाखिला दिलाने में, व्यापारिक और बैंकिंग लेन-देन में, शिक्षकों और कर्मचारियों की नियुक्ति में, ड्राइविंग लाइसेंस आवेदन करने में, बिल जमा करने आदि में मदद करता है।

इंटरनेट का विकास

1969 ए.पी.आर.ए. (एडवांस्ड रिसर्च प्रोजेक्टस एजेंसी) ने संयुक्त राज्य अमेरिका के चार विश्वविद्यालयों के कम्प्यूटरों की नेटवर्किंग करके इंटरनेट की शुरूआत की । इसका विकास शोध, शिक्षा और सरकारी संस्थाओं के लिए किया गया था । इसका एक अन्य उद्देश्य था आपात स्थिति में जबकि संपर्क स्थापित किया जा सके । 1971 तक ए.पी.आर.ए. नेट लगभग 2 दर्जन कम्प्यूटरों को जोड़ चुका था । 1972 इलेक्ट्रानिक मेल अथवा ई-मेल की शुरूआत 1983 तक आते- आते यह इंटरनेट पर एवं कम्प्यूटर के बीच संचार का माध्यम बन गया । इसमें से एक प्रोटोकॉल एक टीपी (फाइल ट्रांसफर प्रोटोकॉल) का सहायता से इंटरनेट प्रयोगकर्ता किसी भी कम्प्यूटर से जुड़कर फाइलें डाउन लोड कर सकता है । 1989 मैकगिल यूनिवर्सिटी, माँट्रियल के पीटर ड्यूश ने प्रथम बार इंटरनेट का इंडेक्स ( अनुक्रमणिका) बनाने का प्रयोग किया । थिकिंग मशीन कॉपरिशन के बिडस्टर क्रहले ने एक अन्य इंडेक्निस्ग सिस्सड डब्ल्यू.ए.आई.एस. (वाइड एरिया इन्कार्मेशन सर्वर) का विकास किया । सीई.आर.एन. (यूरोपियन लेबोरेट्री फार पार्टिकल फीजिक्स) के बर्नर्स – ली ने इंटरनेट पर सूचना के वितरण के लिए एक नई तकनीक का विकास किया जिसे अंतत: वर्ल्ड वाइड वेब कहा गया । वेब हाइपरटेक्स्ट पर आधारित है, जोकि किसी इंटरनेट प्रयोगकर्ता को इंटरनेट की विभिन्न साइट्स पर एक डॉक्यूमेंट को दूसरे से जोड़ता है । यह कार्य हाइपरलिक ( विशेष रूप से प्रोग्राम किए गए शब्दों बटन अथवा ग्राफिक्स ) के माध्यम से होता है । 1991 प्रथम यूजर फ्रेंडली इंटरफेस गोफर का मिन्नेसोटा यूनीवर्सिटी (अमेरिका) में विकास हुआ तब से ग्रीफर सर्वाधिक विख्यात इंटरफेस बना हुआ है । 1993 ‘नेशनल सेंटर फॉर सुपर कथ्यूटिंग एप्लीकेशंस’ के मार्क एंड्रीसन ने मोजेडूक नामक नेवीगोटिंग सिस्टम का विकास किया । इस सॉफ्टवेयर से टेक्स्ट और ग्राफिक्स इंटरनेट पर उपलब्ध हो गये । आज भी यह वर्ल्ड वाइड वेब के लिए मुख्य नेवीगेटिंग सिस्टम है । 1994 नेटस्केप कम्यूनिकेशन और 1995 में माइक्रोसॉफ्ट ने अपने – अपने ब्राउजर बाजार में उतारे । इन ब्राउजरों से प्रयोगकर्ताओं के लिए इंटरनेट का प्रयोग अत्यन्त आसान हो गया । 1994 प्रारम्भिक व्यावसायिक साइटस को इन्टरनेट पर लांच किया गया । ई-मेल के द्वारा माँस मार्केटिंग केम्पेन चलाये जाने लगे । 1996 तक आते- आते दुनिया भर में इंटरनेट की काफी लोकप्रियता हो गई । 1999 के आरम्भ में विश्व भर के इंटरनेट प्रयोगकर्ताओं की संख्या सं.रा. अमेरिका से थी । ई-कॉमर्स की अवधारणा अत्यन्त तेजी से फैली, जिससे इंटरनेट के द्वारा खरीद-फरोख्त लोकप्रिय हो गई । 2000 इंटरनेट की लोकप्रियता के साथ-साथ कई समस्यायें भी उठ खड़ी हुईं । ‘लव बग‘ नामक वायरस के लाखों कम्प्यूटर प्रभावित हुए और कम्पनियों को अरबों रुपये का नुकसान हुआ ।

इंटरनेट से कितने कंप्यूटर जुड़े हुए है यह तो कहना बहुत मुश्किल है लेकिन यह तय है की इनकी संख्या करोड़ों में है और रोजाना बढ़ती ही जा रही है।  इंटरनेट का सबसे बड़ा फायदा यह है की अपने कंप्यूटर पर इसका इस्तेमाल आप कही से भी कर सकते है। इंटरनेट में कई लोकल, रिजिनल, नेशनल और इंटरनेशनल नेटवर्क शामिल रहते है।  हालांकि इनमे से हर नेटवर्क किसी निजी अथवा सार्वजनिक संस्था की सम्पति होते है।  लेकिन इंटनेट पर किसी अकेली संस्था या संगठन का नियंत्रण और मालिकाना हक़ नहीं है।  इंटनेट पर हर सस्था केवल अपने नेटवर्क को  मेंटेन करने के लिए जिम्मेदार होती है। इस समय लगभग 900 मिलियन लोग दुनिया के विभिन्न हिस्सों में इंटनेट का इस्तेमाल करते है। 

इंटरनेट के अधिक इस्तेमाल से हानियाँ 

आधुनिक समय में लगभग हर कोई इंटरनेट का इस्तेमाल विभिन्न उद्देश्यों के लिये कर रहा है। जबकि हमें अपने जीवन पर इससे पड़ने वाले फायदे-नुकसान के बारे में भी जानना चाहिये। विद्यार्थीयों के लिये इसकी उपलब्धता जितनी लाभप्रद है उतनी ही नुकसानदायक भी क्योंकि बच्चे अपने माता-पिता के चोरी से इसके माध्यम से गलत वेबसाइटों का भी इस्तेमाल करते है जोकि उनके भविष्य को नुकसान पहुँचा सकता है। ज्यादातर माता-पिता इस खतरे को समझते है लेकिन कुछ इसे नज़रअंदाज कर देते है और खुलकर इंटरनेट का इस्तेमाल करते है। इसलिये घर में बच्चों द्वारा इंटरनेट का इस्तेमाल अभिवावकों की देखरेख में होनी चाहिये। ये जान कर हैरानी होगी कि उत्तरी कोरिया, म्यांमार आदि कुछ देशों में इंटरनेट पर पाबंदी है क्योंकि वो इसे बुरा समझते है। कभी-कभी इंटरनेट से सीधे-तौर पर कुछ भी डाउनलोड करने के दौरान, हमारे कम्प्यूटर में वाइरस, मालवेयर, स्पाइवेयर, और दूसरे गलत प्रोग्राम आ जाते है जो हमारे सिस्टम को नुकसान पहुँचा सकते है। ऐसा भी हो सकता है कि हमारे सिस्टम में रखे डाटा को बिना हमारी जानकारी के पासवर्ड होने के बावजूद भी इंटरनेट के द्वारा हैक कर लिया जाये।

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Pradeep Negi is an educator in India. All views expressed are personal.