Life & Well Being टीचर और स्टूडेंट की प्रेरणादायक कहानी 
By Anand Kumar Gupta
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एक शिक्षक अपने छात्रों पर अमिट छाप डालता है, उन्हें जीवन में आने वाली चुनौतियों का सामना करने योग्य बनाता है, व कुशल नागरिक का निर्माण करता है। एक शिक्षक के अन्दर बहुत सारी शक्तियांँ होती है, जिन्हें वह अपने छात्रों को उत्तम बनाने में प्रयोग करता है। एक छोटी सी कहानी के माध्यम से शिक्षक की शक्तियों को दर्शाया गया है- (द पावर आफ ए टीचर)  


टीचर और स्टूडेंट की प्रेरणादायक कहानी 

यह कहानी शुरू होती है एक स्कूल से। बाहर बारिश हो रही थी और अंदर क्लास चल रही थी। तभी टीचर ने क्लास के सभी बच्चो से एक सवाल पूछा, “अगर तुम सबको 100- 100 रूपए का नोट दिया जाए, तो तुम सब क्या खरीदोगे?”
 
किसी ने कहा मैं वीडियो गेम खरीदूंगा, किसी ने कहा मैं क्रिकेट का बैट खरीदूंगा, किसी ने कहा मैं अपने लिए प्यारी सी गुड़िया खरीदूंगा, तो किसी ने कहा मैं बहुत से चॉकलेट्स खरीदूंगा।
 
एक बच्चा कुछ सोचने में डूबा हुआ था। तभी टीचर ने उस बच्चे से पूछा, “तुम क्या सोच रहे हो? तुम क्या खरीदोगे?”
 
बच्चा बोला, “टीचर जी मेरी माँ को थोड़ा कम दिखाई देता है, तो मैं अपनी माँ के लिए एक चश्मा खरीदूंगा।”
 
टीचर ने कहा, “तुम्हारे माँ के  लिए चश्मा तो तुम्हारे पापा भी खरीद सकते है। तुम्हे अपने लिए कुछ नहीं खरीदना?”
 
बच्चे ने जो जवाब दिया उससे टीचर का भी गला भर आया। बच्चे ने कहा, “सर मेरे पापा अब इस दुनिया में नहीं रहे। मेरी माँ लोगो के कपड़े सिलकर मुझे पढ़ाती है। और उन्हें कम दिखाई देने की वजह से वह कपड़े सिल नहीं पाती है। इसलिए सर मैं मेरी माँ को एक चश्मा खरीदकर देना चाहता हूँ। ताकि मैं अच्छे से पढ़  सकूँ, बड़ा आदमी बन सकूँ और माँ को सारी सुख-सुविधा दे सकूँ।

बच्चे की बात सुनकर टीचर बोले, “बेटा, तेरी सोच ही तेरी कमाई है। यह 100 रूपए रखो और तुम्हारे माँ के लिए एक चश्मा खरीदो। और यह 100 रूपए और उधार दे रहा हूँ। जब कभी कमाओ तो मुझे लौटा देना। और मेरी इच्छा है की,  तू इतना बड़ा आदमी बने की तेरे सिर पर हाथ रखते वक़्त मैं धन्य हो जाऊं।”
 
20 बर्ष के बाद, उसी स्कूल के बाहर बहुत बारिश हो रही थी। और अंदर क्लास चल रही थी। अचानक स्कूल के बाहर जिला कलैक्टर की गाड़ी आकर रूकती है। स्कूल स्टाफ चौकन्ना सा रह जाता है। स्कूल में सन्नाटा सा छा जाता है।

कुछ समय बाद, वह जिला कलैक्टर एक बृद्ध टीचर के पैरों में गिर पड़ते है। और कहता है, “सर, मैं उधार के 100 रूपए लौटाने आया हूँ।”  पूरा स्कूल स्टाफ दंग रह जाता है। फिर बृद्ध टीचर झुके हुए नौजवान जिला कलैक्टर को उठाकर गले मिलते है। और रो पड़ते है।

About the author

Anand Kumar Gupta is an educator in India. All views expressed are personal.