5 सितंबर को शिक्षक दिन मनाया गया. उस दिन विभिन्न व्हाट्सअप ग्रुप पे बहोत सारी शुभकामनाये मिली. कई दोस्तोके, स्टुडंट्स के पर्सनल कॉल आये. मैंने खुद मेरे पुराने स्कूल टीचर्स को कॉल किया. पूरा दिन कुछ अलगसी भावना मनमे थी. रात को सोते समय, सोचने लगी की वाकही मे teachers सबसे special क्यों feel करते हैं? मेरे मनमे उठे सवाल का जबाब भी सोचते सोचते मेरेही मनने दे दिया।
पहली वजह ये हैं की शिक्षक ज्ञानदान का पवित्र कार्य करते हैं. भगवदगीता में लिखा हैं -
न हि ज्ञानेन सदृश्यम पवित्र मिह विद्यते !
मतलब ज्ञान के समान पवित्र अन्य कुछ भी नहीं हैं। महान शिक्षण महर्षी महात्मा फुले ने लिखा हैं:
विद्येविना मती गेली, मती विना नीती गेली, नीती विना वित्त गेले, वित्ताविना शूद्र खचले, एवढे अनर्थ एका अविद्येने केले !
मतलब बिना ज्ञान के बहोत सारे अनर्थ होते हैं, सामाजिक हानी होती हैं. इसलिये शिक्षा, ज्ञान देनेका पवित्र काम करनेवाले गुरु असामान्य होते हैं।
ऐसे टीचर्स के लिये गुरुशाला भी बहोत सारे उपक्रम देश भर में ले रही हैं.धन्यवाद गुरुशाला ! दुसरी वजह ये हैं की, शिक्षक के काम में सेवाभाव, छात्र की भविष्य की चिंता ज्यादा होती हैं.वो अपने काम को सिर्फ 1 जॉब की नजर से नही देखते, बल्की उसमे कर्तव्य, समर्पण भावना होती हैं.इसमे responsibility होती हैं.कोई भी गलत मेसेज या सिख छात्र की जिंदगी तबाह कर सकती हैं। खाली सिलॅबस सिखाके पूरा किया, तो अपनी duty खत्म, ऐसा नही होता. अपने स्टुडन्ट को उसके अलावा ज्यादा ज्ञान मिले, वो अव्वल आये, उसकी तरक्की हो, ये सोचकर शिक्षक अपना तन, मन, धन लगा देते हैं. छात्र के भविष्य के लिये वो कुछ भी करने को तय्यार रहते हैं।
तिसरी वजह ये हैं की, बाकी जॉब में टाइम और काम की लिमिट होती है। लेकिन शिक्षक स्कूल के बाद भी भी पढ़ते हैं। हमारे रयत शिक्षण संस्था में भी जो 'गुरुकुल प्रकल्प' हैं, उसमे सब शिक्षक और ज़्यादा काम करते। हैं क्लास में कितने भी छात्र हो, उनके कितने भी सवाल हो, शिक्षक सबको सिखाकर जबाब देते हैं। अपना पूरा ज्ञान वो छात्र को देकर उसे काबील बनाते हैं. अपने पास कुछ नही रखते हैं।
चौथी वजह ये हैं की शिक्षक नयी पिढी बनानेका काम करते हैं, तो समाज में उन्हे रिस्पेक्ट मिलती हैं। कितना भी बडा अधिकारी हो, नेता हो, कोईभी इन्सान अपने गुरु के सामने नतमस्तक हो जाता हैं। सबके जीवनमे, मनमे गुरुके लिये सर्वोच्च स्थान होता हैं। गुरुपर विश्वास, श्रद्धा होती हैं। इसलिये तो एकलव्य ने अपना अंगुठा निकालकर गुरु द्रोणाचार्य को दिया। शिक्षक 1 जिम्मेदार, ईमानदार व्यक्ती होता हैं,( इसलिये शायद कोई भी चुनाव, जन गणना, कोविद कर्तव्य आदि के लिये पहले शिक्षकोको प्राधान्य दिया जाता हैं शिक्षक हर एक काम मन लगाकर करते हैं।
पाचवी वजह ये हैं की, शिक्षक को अपने काम से एक आत्मसमाधान मिलता हैं। कोई भी छात्र की आंखोमे जब 1 विश्वास शिक्षकोके प्रति दिखता हैं, तो वो शिक्षक धन्य हो जाते हैं। शिक्षक छात्र के द्वारा अपने खुद के सपने साकार करते हैं। वो जैसा बीज बोते हैं, वैसा फल पाते हैं। गुरु चाणक्य ने तो अपने शिष्य को सम्राट अशोक बना दिया। शिक्षक अपने छात्र का भविष्य सवारना चाहते हैं। इसमे उनका कोई स्वार्थ नही होता। "नेकी कर, दर्यामें डाल ", ऐसेही शिक्षक कितने सारे स्टुडंट्स को पढाते हैं। उम्र के साथ भूल जाते हैं, पर छात्र कभी शिक्षक को भुलते नही.शिष्य के साथ गुरुभी याद आते हैं। जैसे अर्जुन - द्रोणाचार्य, शिवाजी महाराज -दादोजी कोंडदेव, सचिन तेंडुलकर - आचरेकर ।
मुझे गर्व हैं, की मैं एक शिक्षक हूं!