मेरे या हम सभी के मन में ये विचार ज़रूर आया होगा कि कोविड की मार से क्या भारत बल्कि पूरे दुनिया के बच्चों की शिक्षा पर क्या प्रभाव पड़ा है?
यदि हम तीन साल के मासूम बच्चे से बात को प्रारम्भ करे तो जिस बच्चे का स्कूल में नाम लिखवाकर हम उसे स्कूल जाने से लेकर वहाँ पर सबकुछ सीखने तक की प्रक्रिया जो एक शिक्षक के माध्यम से पूरी होती थी आज आनलाइन की जा रही है तो क्या हम वास्तव में उसे पूरा कर रहे है या नहीं। स्कूल में अन्य बच्चो के साथ उठना–बैठना, बातचीत करना, भाषाओं का आदान-प्रदान, सहयोगात्मकता की भावना का विकास और अनुशासन का जीवन में महत्त्व जो वह स्कूल में सीखते हैं, कैसे सीख पाएंगे। आज ऑनलाइन पढाई हो रही है। हम - आप , सब जानते है कि कितनी पढ़ाई हो रही है। छात्र बस मोबाइल में व्यस्त है।
सोचिये क्या होगा आगे ?..... ऐसे में कुछ - कुछ बच्चे यदि बुलाये जाये और कोविड का ध्यान रखते हुए पढ़ाया जाये तो कैसा रहेगा?
अब बात करते हैं हाई स्कूल एवं इंटरमीडिएट के छात्रों की, वो तो बिना पढ़े ही प्रमोट कर दिए गए। ये तो बड़ा ही अजीब है जो पढ़े या न पढ़े सभी गंगा नहा लिए। ऐसे में जो बच्चे अच्छे हैं वह तो आगे आने वाली चुनौतियों को पार कर पाएंगे। बाकी का क्या ? आप खुद समझ सकते हैं कि आगे क्या होगा ? इसकी जगह अगर परीक्षा होती, भले ही देर में होती तो परिणाम बेहतर नहीं होता ?? क्या आपको नहीं लगता ये एक ज्वलंत प्रश्न है !
चलिए आगे बढ़ते हैं हायर एजुकेशन की ओर वह जो छात्र एम.एस.सी., एम. टेक, पीएचडी आदि कर रहे हैं वह तो अपनी डिग्री दो साल तो क्या चार साल में भी नहीं पा रहे है ऐसे में उनकी जॉब पर प्रश्न है जिसके कारण उन पर मानसिक दबाव है, निराशा का पनपना स्वाभाविक है। सोने पर सुहागा तो तब है जब अभिवावक उन पर नौकरी का दबाव बनाते है। युवा पीढ़ी का जोश कम न हो हमें ध्यान रखना है एक अभिभावक के रूप में हमें उनका साथ देना है ताकि वह निराश ना हो।
ऑनलाइन पढ़ाई बड़े बच्चो के लिए तो ठीक है पर कब जब वह मोबाइल पर पढ़ाई से सम्बंधित चीजे ही देखे। पर ये कितना सच हो रहा सभी जानते है। छोटे-छोटे बच्चे मोबाइल पर जुटे रहते है और तो और अभिभावक अपने मोबाइल पर। हमारा भी कुछ दायित्व है अपने बच्चे को देखे सिर्फ़ सर्कार या ऑनलाइन क्लास पर तो नहीं छोड़ा जा सकता। घर में रहकर बच्चे उद्दण्ड भी हो रहे है। किसी भी उम्र के बच्चो पर कोई मानसिक दबाव ना पड़े ये अभिभावकों को समझना होगा ताकि वे कोविड के समय को निकल सके और भविष्य के लिए अपना मार्ग प्रशस्त कर सके।
कोविड की लहर से हम सभी गुजर जायेगे और फिर से पुराने दिन आएंगे। इसी सोच के साथ
जिंदगी आज में जियो, कल में नहीं,
क्योकि कल कभी आता नहीं, और आज कभी जाता नहीं।